Bookworm Trust

Written by Zeba and Muskan

मैं ज़ेबा और मेरी साथी मुस्कान, हम दोनों मध्यप्रदेश, भोपाल शहर की अलग अलग बस्तियों में रहते हैं, और पहल संस्था के साथ जुड़कर सावित्री बाई फुले फ़ातिमा शेख पुस्तकालय संचालित करते हैं| नया बसेरा गंदी बस्ती और आरिफ़ नगर में | 

हम दोनों की लाईब्रेरी मेंटोरींग सपोर्ट की यह यात्रा एक साथ शुरू हुई| इस यात्रा के ज़रिए हमने अपने अपने लाइब्रेरी को एक अलग नजर से देखना शुरू किया| जैसे लाइब्रेरी हर पाठक हर लाइब्रेरी में आने वाले व्ययक्तियों के लिए सुलभ बना सकें| लाइब्रेरी में बेसिक संसाधन होना क्यूँ जरूरी हैं, जब हमने इसको समझा, जाना और उसके आधार पर अपने लाइब्रेरी में बदलाव किए हैं| इन बदलावों से समुदायों का लाइब्रेरी के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है | 

पाठकों के साथ जब मैंने अलग अलग सत्र संचालित कर रही हूँ तो वे पुस्तकालय में अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं| पुस्तकों को पाठकों द्वारा देखने का नज़रिया विकसित हुआ है| अभी लाइब्रेरी के पाठक भी दूसरे साथियों को किताबों के ज़रिए समूह में इकठठे होकर पढ़ने की प्रक्रिया उन्हें न सिर्फ़ करीब लाती है, बल्कि उनके अंदर बंधुत्व के भाव भी उत्पन्न करती है| जो पाठक पढ़ना जानते हैं, वे न पढ़ना जानने वाले साथी का मज़ाक नहीं बनाते हैं, बल्कि साथ बैठकर उनके साथ कहानी का मज़ा लेने देते हैं या फिर उन्हें पढ़ने में मदद करते हैं| 

लाइब्रेरी में बेसिक संसाधन और बेसिक सुविधाओं के चलते हमें अपने लाइब्रेरी में एक नई सकारात्मक उम्मीद गहरा गई है कि यह पाठकों को लंबे समय तक पुस्तकों से जोड़कर रखेगी| इसमें हमें उषा मुकुंदा जी के आलेख-बच्चों का पुस्तकालय: स्वरूप माहौल और सहमति, पहाड़ों में पुस्तकालय बेहद मददगार साबित हो रहे हैं| 

वर्तमान में हम देख पा रहे हैं कि हमारे स्वयं के नजरिए में भी बदलाव आए हैं कि हम लाइब्रेरी को हर दिन पाठकों के लिए ऊर्जा व तर्क संगत सत्रों के साथ एक समुदाय आधारित, सुलभ व welcoming पुस्तकालय बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं| 

LMS के साथ प्रक्रियाओं से जुड़कर मैंने, लाईब्रेरी में हम भी stitching का कितना और कैसे use कर सकते हैं ये हमने वहाँ बहुत ही दिलचस्प ढंग से कर के सीखा है| LMS सेशन के थ्रू हम अपने Read aloud को और बेहतर कर पाए हैं | बुक ब्राउज़िंग में हमारी काफी समझ बन पाई है| अलग अलग तरीकों से हम थीम based dispay केसे बना सकते हैं, बुक्स के पार्ट्स के बारे में हमने जो जाना है वो मेरे लिए बहुत उपयोगी रहा है| ओर बुक केयर के क्या फायदे हो सकते हैं, बुक केयर एक जरूरी हिस्सा है लेकिन इसको मजेदारी के ढंग से भी करवाया जा सकता है, बच्चों में इससे क्या समझ बन पा रही है बुक्स को लेकर ये हम देख पा रहे हैं | गाइडेड ड्रॉइंग वाले सेशन के बाद और LMS द्वारा स्टेशनरी बॉक्स मिलने के बाद हमें बहुत सारी सामग्री का यूज करने मे आसानी हो पाई है| लैन्डिंग कार्ड बनने से बच्चे खुद से किताबें बॉरो कर कर ले जा रहें हैं | किताबों के पार्टी उनका आकर्षण बढ़ है |

 हमारी लाइब्रेरी के बच्चों मे भी काफी उत्साह बढ़ा है सामग्री के स्तेमाल को ले कर, जैसे कि बच्चे अपने हाथ से सॉफ्ट पेस्टल कलर्स का उपयोग कर पा रहे हैं शीट्स में वो कैसे काम करते हैं| अलग तरह कि सीजर का यूज करना | चीजों के बढ़ जाने के बाद बच्चों का खुद से अपने लिए कायदे कानून बनाना | पहले गर्मी कि वजह से वहाँ बैठ कर पढ़ना मुश्किल होता था लेकिन अब लोग वहाँ ज्यादा समय असानी से किताबों के साथ व्यतीत कर पा रहें  हैं |

बच्चों में ownership बढ़ी है, बच्चे अपने चप्पल खुद से शू रैक में जमाते हैं | हलांकि हमारा यह सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ है यह सफ़र अभी बस शुरू हुआ है| 

ज़ेबा, मुस्कान |

रेफरेंस 

मुकुंदा, उषा. बच्चों का पुस्तकालय: स्वरूप माहौल और सहमति

मुकुंदा, उषा. पहाड़ों में पुस्तकालय 

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